पोथी : सबद-नाद / विधा : अनुवाद / अनुवादक : नीरज दइया / प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर संस्करण : 2012 / मोल : 70 रिपिया।
- सबद-गूंज/ कुंदन माली
- भारतीय कविता री सांतरी जातरा / डॉ. मदन गोपाल लढ़ा
- हाय! मुट्ठी’क चावळियां खातर… / डॉ. मदन सैनी
अनुसिरजण में भारतीय भाषावां रा सिरजकां री टाळवीं कवितावां रो काव्यानुवाद ठेठ राजस्थानी रो आस्वाद करावै । अनुसिरजक नीरज दइया री काव्यभाषा राजस्थानी मुहावरै सूं सांगोपांग रची-बसी हुवण सूं पाठक नैं कठैई बणावटी नीं लखावै अर बो आं कवितावां रै अंतस सूं उंडै तांईं सीधो बंतळ करै ।
-डॉ. मदन सैनी
भाई नीरज जी!राजस्थानी में पूरे भारत की कविताएँ देख कर मज़ा आ गया। ये बड़ा काम है। ऐसा काम तो अभी तक हिन्दी में भी किसी एक व्यक्ति ने शुरू नहीं किया है। मुझे आपसे ईर्ष्या हो रही है। अद्भुत्त ।
अनिल जनविजय
वाह वाह सा… सबद नाद पोथी री जाणकारी जोरदार है, भाई नीरज दइया री पोथी बाबत टीप कवितावां रै अनुवाद नै समझण मांय मददगार मानी जावैला… ।